Saturday, May 29, 2010

किसकी निंदिया उधार है यारा.

है नशा या खुमार है यारा.
ओये तेरे की ! ये प्यार है यारा.

उसकी आँखों में जो ना धड़का तो,
दिल का होना बेकार है यारा.

सुबह तलक ये रात रोती रही,
किसकी निंदिया उधार है यारा.

वो तेरा नाम लेके मरता है,
जिसपे दुनिया निसार है यारा.

सड़कों जैसा ही दिल के भीतर भी,
कितना गर्दो-गुबार है यारा.

बरसीं बारिश की चंद ही बूंदें,
ग़म का बादल बीमार है यारा.

ख्वाब आते हैं, चिटिओं की तरह,
कहीं आँखों में दरार है यारा.

: राकेश जाज्वल्य
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