Friday, November 9, 2012

.............भला  कब
अकेला होता हूँ मैं,

कागज़, पत्ते, फूल, धूल,
खुशबु, धूप, बारिश, साँसें
सब तुम्हारी याद की
वज़हें बन जाती हैं

* राकेश जाज्वल्य. 07.11.12

Saturday, November 3, 2012

मैं न भी चाहूँ......... फिर भी ये यकीं है मुझको,
मेरी नाराज़गी हार जाएगी तेरी मुहब्बत के आगे.

: राकेश जाज्वल्य. 03.11.2012