Friday, May 25, 2012

सीधी-सीधी बात है....


मीठी धूप हथेलियों में...... अब के भर ली जाये.
सीधी-सीधी बात है....... मुहब्बत कर ली जाये.


पूरा दिन बेचेनी वाले...... लम्हे थामे रहता हूँ, 
खुरची -खुरची नींदों वाली रात भी धर ली जाये .


मुझको भी मालूम है कि तुम दाल जलाया करती हो,
क्यूँ न यह इल्ज़ाम आज से अपने सर ली जाये. 


आसमां में छेद करें या... उड़ें जमीन के भीतर,
ख्वाब कभी आँखों के भी..हद से बाहर ली जाये. 


सीधी-सीधी बात है ..... 



: राकेश 25.05.12

Wednesday, May 23, 2012

दिल हमारा ......


दिल हमारा सांस गिनते थक गया .
ख़त्म क्यूँ होता नहीं ये सिलसिला.

उफ़ वो ऊँगली, उफ़ वो खंज़र क्या कहें, 
उनके हाथों मरने में क्या लुत्फ़ था.


हमने कल उनके सभी ख़त फाड़ कर, 
अपनी ख़ामोशी से यूँ बदला लिया.  


होते- होते इक हकीकत रह गयी,
बनते- बनते इक फ़साना रह गया. 


यूँ लगा जैसे  बिखरने हम लगे, 
हम से वो इतने तकल्लुफ से मिला.

: राकेश जाज्वल्य. 24.05.12