Thursday, January 17, 2013

बे-सबब अपनी आशिकी ठहरी.....

 बे-सबब अपनी आशिकी ठहरी.
बात यह इश्क की भली ठहरी.

हो मुहब्बत में यह पता सबको.
कशमकश उम्र भर बनी ठहरी.

शुक्रिया ज़िन्दगी! कदम दर कदम,
तू मेरे साथ ही चली, ठहरी.

है इश्क भी तो ख़ुदा की मर्ज़ी,
इस में सब गलतियाँ सही ठहरी.

तेरी काशी, तेरा काबा, तेरे मंदिर-मस्जिद,
अपनी तो यार की गली ठहरी.

: राकेश जाज्वल्य. 11.01.2013