Saturday, March 20, 2010

Tera chehra ../ तेरा चेहरा ....

Tera chehra ../ तेरा चेहरा ....
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Sachhi- jhuthi, meethi-tikhi
sab tasviren sah jaata hai.
Tera chehra palken sahlaye to
aankh me sapna rah jaata hai.
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सच्ची - झूठी, मीठी - तीखी
sab तस्वीरें सह जाता है.
तेरा चेहरा पलकें सहलाए तो
आँख में सपना रह जाता है.
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: Rakesh Jajvalya.

Monday, March 15, 2010

सपनों पर दाँव है.../ Sapnon par daon है..

शहरों में पाँव है।
दिलों में गाँव है।

धूप में जहाँ की,
तेरी यादें छाँव है।

आँखें पत्ते फेंट रहीं,

सपनों पर दाँव है।

बारिश जरा रुकना!
कागज़ की नाँव है।

माँ की गोद, पहली

aur आखिरी ठाँव है।
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Shaharon me paon hai.
Dilon me gaon hai.
dhoop me jahan ki,

teri yaaden chhaon hai.
Aankhen patte fent rahi,

Sapno par daon hai.
Barish jara rukna,

Kagaz ki naaon hai.
Maa ki god pahli

Aur aakhiri thaon hai.
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: राकेश जाज्वल्य.

Friday, March 12, 2010

तमाम....

पाने की तुझको हो गयी आजमाइशें तमाम।
जैसे के हो गयी हों सभी ख्वाहिशें तमाम।

अटकी हुई हलक पे थी, आकर के जाँ मेरी,
लबों के खोलने से हुई मुश्किलें तमाम।

कहता फिरे काफ़िर मुझे, वाइज़ की है मर्ज़ी,
पैमानों सी धोयीं हैं यूँ, समझाइशें तमाम।

जब भी कोई हँसा, हुआ माहौल ख़ुशनुमा,
याद आई तेरी मुझको दिखी मंज़िलें तमाम।

कहीं रात थी धुआँ-धुआँ, कहीं ज़िस्म भी धुआँ,
धुआँ-धुआँ हुई थी कहीं, बंदिशें तमाम।
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: राकेश जाज्वल्य
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