Friday, April 22, 2011

जलन ...

कह रही थी रात सुबह से जो सुबह-सुबह,
तुम्हारी ही खुश्बुओं की कुछ बात थी शायद.

....पूरा दिन हर-श्रृंगार लाल-पीला होता रहा.


: राकेश.
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Friday, April 8, 2011

ये साली ज़िन्दगी....

जितनी दिखती है,
उतनी खुबसूरत नहीं है.
भावनाओं में बहने की
ज़रूरत नहीं है.

ज़िन्दगी है ही ऐसी.
इसकी ऐसी की तैसी.


दिल की भी कभी सुन ले,
ऐसी सोच नहीं है.
बड़ी कड़क है साली,
ज़रा भी लोच नहीं है.

हरदम रहती ऐठीं,
इसकी ऐसी की तैसी.



बड़ी ही ना-शुक्री है,
पास नहीं आती,
सुविधाओं के कीचड़ में,
पड़ी रहे अलसाती.

मोटी-काली-भैसीं.
इसकी ऐसी की तैसी.


इसकी मीठी, रसभरी,
बातों पर हँसना नहीं.
करना हाथों पर यकीं,
लकीरों में फंसना नहीं.

झूठी प्रेमिका जैसी.
इसकी ऐसी की तैसी.


: राकेश ०९.०४.२०११.
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Monday, April 4, 2011

खूबसूरत चिठिया...

राशि और आशि
दोनों नन्ही परियों के लिए...

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प्यार में लिखी,
खूबसूरत चिठिया है.
आँगन में दौड़ती-खेलती,
नन्ही-सी बिटिया है.


कभी वो मेरी दादी अम्माँ,
कभी वो मेरी नानी है.
उसकी सपनीली आँखों में,
मेरी ही कहानी है.


अक्सर मेरी डांटें
भूल जाती है.
हँस कर बांहों में
झूल जाती है.


स्कुल, घर,
जहाँ की बातें हैं.
उसकी नींदें हैं,
मेरे काँधें हैं.


उसका चेहरा
मेरे हर्ष में.
वो मेरे दिन,
महीने वर्ष में.


इतने निश्छल,
प्यारे प्यार के लिए.
ईश्वर तेरा शुक्रिया,
इस उपहार के लिए.

: राकेश. ०४.०४.२०११.
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