Thursday, May 2, 2013

लम्हें कुछ.....ek nayi ghazal.


लम्हें कुछ गुज़र कर भी गुज़रते नहीं कभी.
कुछ गहरी चोटों के निशां उभरते नहीं कभी

कंकड़ कोई, तिनका कोई या याद किसी की,
मोती यूँ ही निगाह से...... झरते नहीं कभी.

दरिया- - इश्क की भी रवानी है अनोख़ी 
जो डूबते नहीं वो......... उबरते नहीं कभी.

"लहना" हो या हो "देव" वो बचपन की कहानी,
किरदार अपने बीच के..... मरते नहीं कभी.

पहुंचे जो गाल तक भी न आँखों की कोर से,
वो ख़्वाब उँगलियों से ..... संवरते नहीं कभी.

: © राकेश जाज्वल्य
( सन्दर्भ : . लहना सिंह - "उसने कहा था.", चंद्रधर शर्मा गुलेरी
. देव-  "देवदास" शरत चन्द्र चटोपाध्याय )

Thursday, April 25, 2013

तेरी ओर.......


तेरी ओर   ...... 
मेरे ख्याल  के   
पहला कदम उठाने  
और ......रखने के बीच का   
थोडा सा वक्त .. 
और ... 
थोड़ी सी ....दूरी...ही..  
मुहब्बत  है  ...शायद !  
और हाँ ... 
ज़िन्दगी भी !!! 

:
राकेश जाज्वल्य. 

20.04.2013 

Thursday, March 28, 2013

कुछ मीठा-मीठा सा ....

जब भी फेरता हूँ 
जीभ... होंठो पर, 
मिल ही जाता है.. 
अपनी मिठास लिए कोई लम्हा...अक्सर.

कभी... छुपाकर तुमसे 
मन की जेबों में 
भर ली थी.... 
तुम्हारी किसमिस जैसी बातें. 

ज़िन्दगी.... उस दिन से ही 
कुछ मीठी- मीठी है. 

: राकेश जाज्वल्य. 
RAKESH JAJVALYA 20.03.2013

हो कर तुम्हारी ओर से आई है इस तरफ,
खुश्बू भी है हवा में.... नमी भी मिली हुई. 

: राकेश जाज्वल्य. 

Friday, February 22, 2013

यकीन.....

  
प्रेम,
प्यार,
प्रीति, 
मुहब्बत, 
प्रणय, 
चाह ......
किसी भी नाम से 
पुकारूँ तुम्हें,
या..फिर 
खामोश रहूँ...
बरसों- बरस. 

मुझे यकीन  है.. 
ज़िन्दगी.. !!!

तुम्हारे लिए भी,
मायने रखता है..
अहसास .....
साथ होने का,
... पुकारा जाना नहीं.

* राकेश जाज्वल्य
rakesh jajvalya 09.02.13
 

Thursday, January 17, 2013

बे-सबब अपनी आशिकी ठहरी.....

 बे-सबब अपनी आशिकी ठहरी.
बात यह इश्क की भली ठहरी.

हो मुहब्बत में यह पता सबको.
कशमकश उम्र भर बनी ठहरी.

शुक्रिया ज़िन्दगी! कदम दर कदम,
तू मेरे साथ ही चली, ठहरी.

है इश्क भी तो ख़ुदा की मर्ज़ी,
इस में सब गलतियाँ सही ठहरी.

तेरी काशी, तेरा काबा, तेरे मंदिर-मस्जिद,
अपनी तो यार की गली ठहरी.

: राकेश जाज्वल्य. 11.01.2013