Saturday, October 15, 2011

माँ...

तेज धूप में
एक टुकड़ा बादल,
मेरे साथ-साथ
चलता रहा.

माँ आसमाँ से भी
मुझ पर,
दुआओं का आँचल
डाले रही.


:राकेश. ०९.०५.११
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Tuesday, October 11, 2011

दिन फिर बीता....

दिन फिर बीता.
रीता- रीता.

संग-संग सूखे,
नयन, सरिता.

रात
की  जुल्फें,
चाँद ka फीता.

इश्क़ में एक- 
कुरान ओ गीता.


दिल जब जीते,
तब जग जीता.

मन की करनी,
काम सुभीता. 
 


 राकेश जाज्वल्य. 
०७.१०.२०११ 
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Friday, October 7, 2011

और मेरे करीब आता गया...

और मेरे करीब आता गया.
वो मुझे जितना आज़माता गया.

उसको जीने का हुनर आता था,
वो जो दुनिया से मुस्कुराता गया.

ईद की उसको साल भर खुशियाँ,
जो गले मिल के दिल मिलाता गया.

ये हकीक़त थी, आँख थी मेरी,
ख़्वाब लेकिन वही दिखाता गया.

हाँथ उसके कभी ना खाली रहे,
जो दुआओं से घर सजाता गया.

ये मेरा रब ही जानता है के,
किसकी गलती से अपना नाता गया.

उसका चेहरा चाँद बन बन कर,
ज़हनो दिल मेरा जगमगाता गया.

: राकेश. ३०.०८.११.--------------------------