दिल का ये अफ़साना जी.
सबको नहीं सुनाना जी.
तन्हाई में गूंजा करता
है, यादों का गाना जी.
कच्चा आँगन, पक्का पीपल,
कहाँ वो दादा-नाना जी.
बचपन में चोटी खिंची थी,
दिल उसका हर्ज़ाना जी.
सुबह-सुबह गर शाम मिले
तो, आशीषें ले जाना जी.
अच्छा है जो अखियाँ भीगीं,
नमी में उगता दाना जी.
आँसू बहते दुःख में, सुख में,
अच्छा ताना- बाना जी.
: राकेश जाज्वल्य. १२.०३.२०११.
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सबको नहीं सुनाना जी.
तन्हाई में गूंजा करता
है, यादों का गाना जी.
कच्चा आँगन, पक्का पीपल,
कहाँ वो दादा-नाना जी.
बचपन में चोटी खिंची थी,
दिल उसका हर्ज़ाना जी.
सुबह-सुबह गर शाम मिले
तो, आशीषें ले जाना जी.
अच्छा है जो अखियाँ भीगीं,
नमी में उगता दाना जी.
आँसू बहते दुःख में, सुख में,
अच्छा ताना- बाना जी.
: राकेश जाज्वल्य. १२.०३.२०११.
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1 comment:
अच्छा है जो अखियाँ भीगीं,
नमी में उगता दाना जी.ye khas psand aayaa..choti bahr ki khoobsurat gazal..
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