Tuesday, October 11, 2011

दिन फिर बीता....

दिन फिर बीता.
रीता- रीता.

संग-संग सूखे,
नयन, सरिता.

रात
की  जुल्फें,
चाँद ka फीता.

इश्क़ में एक- 
कुरान ओ गीता.


दिल जब जीते,
तब जग जीता.

मन की करनी,
काम सुभीता. 
 


 राकेश जाज्वल्य. 
०७.१०.२०११ 
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1 comment:

रश्मि प्रभा... said...

आँगन- राधा,
चौखट- सीता.

दिल जब जीते,
तब जग जीता.
bahut hi badhiyaa