Thursday, March 10, 2011

फूंक.........(त्रिवेणी)

----------------------------------

हौले से नमी वाली इक फूंक मारें.
चाँद की आखों से चलो धूल झारें.

अब चेहरा तुम्हारा कुछ साफ़ नज़र आता है.

: राकेश जाज्वल्य. 10.03.2011
---------------------------------

2 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत त्रिवेणी

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर ख्याल्।