क्यूँ कर तन्हा रातें करना.
खुद से उसकी बातें करना.
सच्चे होकर भी क्यूँ हारें,
सीखें हम भी घातें करना.
अपनों की आँखों में, सुख के
सपनों की सौगातें करना.
जब आँखों में उमड़ें बादल,
गज़लों की बरसातें करना.
प्यार में दोनों तरफ वही है,
क्या शह देना, मातें करना.
क्या दुनिया, क्या दुनियादारी,
खुद से भी मुलाकातें करना.
: राकेश जाज्वल्य. ०६.०६.२०११.
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खुद से उसकी बातें करना.
सच्चे होकर भी क्यूँ हारें,
सीखें हम भी घातें करना.
अपनों की आँखों में, सुख के
सपनों की सौगातें करना.
जब आँखों में उमड़ें बादल,
गज़लों की बरसातें करना.
प्यार में दोनों तरफ वही है,
क्या शह देना, मातें करना.
क्या दुनिया, क्या दुनियादारी,
खुद से भी मुलाकातें करना.
: राकेश जाज्वल्य. ०६.०६.२०११.
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3 comments:
अपनों की आँखों में, सुख के
सपनों की सौगातें करना.
bahut khub...shabdo ki acchi parstuti
बहुत प्यारी गज़ल
अनु जी एवं संगीता जी,
आप दोनों का बहुत बहुत शुक्रिया.
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