Friday, October 7, 2011

और मेरे करीब आता गया...

और मेरे करीब आता गया.
वो मुझे जितना आज़माता गया.

उसको जीने का हुनर आता था,
वो जो दुनिया से मुस्कुराता गया.

ईद की उसको साल भर खुशियाँ,
जो गले मिल के दिल मिलाता गया.

ये हकीक़त थी, आँख थी मेरी,
ख़्वाब लेकिन वही दिखाता गया.

हाँथ उसके कभी ना खाली रहे,
जो दुआओं से घर सजाता गया.

ये मेरा रब ही जानता है के,
किसकी गलती से अपना नाता गया.

उसका चेहरा चाँद बन बन कर,
ज़हनो दिल मेरा जगमगाता गया.

: राकेश. ३०.०८.११.--------------------------

2 comments:

रश्मि प्रभा... said...

ये मेरा रब ही जानता है के,
किसकी गलती से अपना नाता गया.
waah, kya baat kahi

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत बढ़िया .........लाजबाब