Sunday, November 6, 2011

दो पंक्तियाँ...

जान ले लेती बेरुखी तुम्हारी.. चैन तो मिलता,
मुस्कुरा के जो देखा तुमने.. अधमरा कर दिया.


******* राकेश. १९.१०.२०११ *********

3 comments:

संजय भास्‍कर said...

.........लाजवाब ज़बरदस्त

संजय भास्कर
आदत..मुस्कुराने की
विदेश जाने की इच्छा छोड़ दे
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

रश्मि प्रभा... said...

are waah

दिगम्बर नासवा said...

वह .. क्या बात है ...