Monday, April 16, 2012

झूठ है...... कि तुझ से कोई वास्ता नहीं,
इन दिनों मुझको मगर, खुद का पता नहीं.


तुम मिल जाओ अगर मुझको... तो  खुद  का  पता मिले.

: राकेश जाज्वल्य. 16.04.2012

No comments: