Saturday, September 29, 2012

बिना शीर्षक..
---------------------- 
मुझसे जलाया न गया,
मुझसे बहाया न गया.
पर कभी-कभी मुझे भी 

सच लगता है,
जब...
लोग कहते हैं कि..
मेरे बागीचे के गुलाबों से..
सियाही* की खुश्बू आती आती है. 


: राकेश जाज्वल्य. 29.09.2012

bina shirshak....
-------------------
mujhse jalaya na gaya,
mujhse bahaya na gaya.
par kabhi-kabhi mujhe bhi
sach lagta hai,
jab..log kahte hai ki...
mere bagiche ke gulabon se..
siyahi* ki khushboo aati hai.


: rakesh jajvalya. 29.092012

No comments: