Friday, November 9, 2012

.............भला  कब
अकेला होता हूँ मैं,

कागज़, पत्ते, फूल, धूल,
खुशबु, धूप, बारिश, साँसें
सब तुम्हारी याद की
वज़हें बन जाती हैं

* राकेश जाज्वल्य. 07.11.12

1 comment:

Amrita Tanmay said...

अति सुन्दर .