इक ख़ूबसूरत याद का........ यूँ बीच राह में मिलना,
बारिश की इक शाम जैसे..... सूरजमुखी का खिलना.
वो कालेज वाली चौक पर.. इक दुकान थी गपशप की,
गुजरना तेरी गलियों से.. बस बतियाते बे-मतलब की.
औधें पड़े - पड़े बिस्तर पर.. अक्सर ताका करते छत,
अधखुली पलकों पर सुनते..... तेरे सपनो की आहट.
उगती सुबहें, ढलती शामें ...... लता-किशोर के गाने,
.............................. ....... तेरी याद के सौ बहानें.
: राकेश जाज्वल्य. बारिश की इक शाम जैसे..... सूरजमुखी का खिलना.
वो कालेज वाली चौक पर.. इक दुकान थी गपशप की,
गुजरना तेरी गलियों से.. बस बतियाते बे-मतलब की.
औधें पड़े - पड़े बिस्तर पर.. अक्सर ताका करते छत,
अधखुली पलकों पर सुनते..... तेरे सपनो की आहट.
उगती सुबहें, ढलती शामें ...... लता-किशोर के गाने,
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