जब भी फेरता हूँ
जीभ... होंठो पर,
मिल ही जाता है..
अपनी मिठास लिए कोई लम्हा...अक्सर.
कभी... छुपाकर तुमसे
मन की जेबों में
भर ली थी....
तुम्हारी किसमिस जैसी बातें.
ज़िन्दगी.... उस दिन से ही
कुछ मीठी- मीठी है.
: राकेश जाज्वल्य.
RAKESH JAJVALYA 20.03.2013
जीभ... होंठो पर,
मिल ही जाता है..
अपनी मिठास लिए कोई लम्हा...अक्सर.
कभी... छुपाकर तुमसे
मन की जेबों में
भर ली थी....
तुम्हारी किसमिस जैसी बातें.
ज़िन्दगी.... उस दिन से ही
कुछ मीठी- मीठी है.
: राकेश जाज्वल्य.
RAKESH JAJVALYA 20.03.2013
No comments:
Post a Comment