Thursday, March 28, 2013

कुछ मीठा-मीठा सा ....

जब भी फेरता हूँ 
जीभ... होंठो पर, 
मिल ही जाता है.. 
अपनी मिठास लिए कोई लम्हा...अक्सर.

कभी... छुपाकर तुमसे 
मन की जेबों में 
भर ली थी.... 
तुम्हारी किसमिस जैसी बातें. 

ज़िन्दगी.... उस दिन से ही 
कुछ मीठी- मीठी है. 

: राकेश जाज्वल्य. 
RAKESH JAJVALYA 20.03.2013

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