कॉलेज के वो प्यारे साथी और मस्ती के दिन।
याद रखेंगें बरसों बरस हम दोस्ती के दिन।
सिगरेट के वो धुओं के छल्ले, प्यारे रतजगे,
उसके शहर की रात और मेरी बस्ती के दिन।
तोहफे में कभी घड़ियाँ, बाली, ऐसी दरियादिली,
कभी पार्टियाँ उधारी की, फाका-मस्ती के दिन।
स्कूल के बस्ते से लेकर कॉलेज बैग तलक,
अपने काँधों टंगे रहे ऊँची हस्ती के दिन।
कभी बीच समंदर तूफां के बाँहों में डाले बांह,
कभी डगमगाए साहिल पर अपनी कश्ती के दिन।
: rakesh jajvalya। ०१.०८ .२०१०
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2 comments:
very nice
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