Wednesday, October 20, 2010

वो जो पहलू से मेरे.........

वो जो पहलू से मेरे हो के गुज़र जाता है।
खूबसूरत ये जहाँ और निखर जाता है।

ख्वाबों-ख्वाबों ही उसकी आखों पे दी है दस्तक,
यूँ सुना है के दिलों तक ये असर जाता है।

मुझको अनजाने जो छू जाती है ऊँगली उसकी,
चाँद खिलता भी गर रहा तो ठहर जाता है।

बातों-बातों में अगर बे-वज़ह भी हंस दे वो,
सुनने वाला हुआ जो मुझसा तो मर जाता है।

सुन के तू मेरी मुहब्बत का ये हसीं नगमा,
कम से कम ये तो बता दे की किधर जाता है।

नहीं आसान छुपाना यूँ दिल का ग़म दिल में,
रुका जो लब पे तो गालों पे बिखर जाता है।

: राकेश जाज्वल्य २० .१० .२०१०
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3 comments:

Anamikaghatak said...

wah wah kya baat hai.......bahut sundar prastuti

कुमार संतोष said...

bahut hi khoobsurat ghazal

रंजना said...

हर शेर ने स्वतः मन से दाद निकलवा ली...हर शेर मन मन आह्लादित हो वाह वाह कर उठा...

सुन्दर इस ग़ज़ल को पढवाने के लिए आभार !!!!