Friday, July 15, 2011

उनकी गलियों से आना-जाना है...

उनकी गलियों से आना-जाना है.
यह भी जीने का इक बहाना है.

जो सदा दिल की अनसुनी लौटे,
उनका आँखों में ही ठिकाना है.


दिल्लगी ही सही, कहता तो है,
जो भी वादा किया निभाना है.


जब भी देखो क़रार आता है,
उनकी आँखें हैं, दवाख़ाना है.


कभी आता था हाथ जोड़े हुए,
अब ख़ुदाओं सा जिसका बाना हैं.


अब किताबों में ख़त मिलें कैसे,
छोटे संदेशों का ज़माना है.


आँखों से बहते ग़ज़ल कहते हैं,
जब  भी रोना है,  गुनगुनाना है.


: राकेश जाज्वल्य. १३.०३.२०११.



1 comment:

रश्मि प्रभा... said...

अब किताबों में ख़त मिलें कैसे,
छोटे संदेशों का ज़माना है.
waah, bahut khoob