Saturday, October 15, 2011

माँ...

तेज धूप में
एक टुकड़ा बादल,
मेरे साथ-साथ
चलता रहा.

माँ आसमाँ से भी
मुझ पर,
दुआओं का आँचल
डाले रही.


:राकेश. ०९.०५.११
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4 comments:

सदा said...

मां हमेशा साथ रहती है ..।

संजय भास्‍कर said...

ऐसी कवितायेँ ही मन में उतरती हैं ॥

रश्मि प्रभा... said...

maa ki baat hi alag hai...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर भाव ... माँ ऐसी ही होती है ... आपकी सोच बहुत अच्छी लगी