Thursday, June 14, 2012



ऐ वक्त ! अगर बनकर सूरज तू कड़ी धूप बरसाता है, 
तो हम भी समंदर हैं, हमें बादल का हुनर भी आता है.


ae vakt ! agar bankar suraj tu kadi dhoop barsaata hai,
to hum bhi samander hain, hamen badal ka hunar bhi aata hai.


* राकेश जाज्वल्य 13.06.2012

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

वाह ... बहुत खूब

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

उम्दा शेर
रामगढ में मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से।

मेरा मन पंछी सा said...

bahut khub||||
behtarin....

रश्मि प्रभा... said...

http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/06/8.html