तुम्हारे लिए....... (nai ghazaal )
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यूँ तो अब तेरी जानिब....कोई राह नहीं जाती.
तेरी गली में मरने की लेकिन चाह नहीं जाती.
फूल ने इक दिन .. हवाओं से कहा- ले शुक्रिया !
तेरे बिन ख़ुश्बू मेरी.. उसके पनाह नहीं जाती.
क्या सही है, क्या ग़लत, इश्क़ का ये मुआमला,
यारों खुद दिल तक मेरे , मेरी सलाह नहीं जाती.
yun to ab teri janib koi raah nahi jaati.
teri gali me marne ki lekin chaah nahi jaati.
phul ne ik din hawaon se kaha - le shukriya !
tere bin khushbu meri ..uske panah nahin jaati.
kya sahi hai, kya galat, ishk ka yah muaamala,
yaaron khud dil tak mere, meri salah nahin jati.
: राकेश जाज्वल्य. rakesh jajvalya. 13.07.2012.
1 comment:
बहुत खूब
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