खुश्बू, बादल, सपने, बातें,
धूप, ग़ज़ल, कुछ दर्द पुराने...
तेरी याद के दस बहाने.
ख्वाबों में है अब भी आती,
इक लड़की हंसती और गाती.
बे- मतलब शरमाया करती,
लिख कर नाम मिटाया करती.
गीत कई गूंजें अनजाने .
तेरी याद के दस बहाने.
तब चर्चाएँ आम थी,
सीने में धड़कती शाम थी.
इक चाँद नुमाया होता था,
जब छत पर साया होता था.
जागी रातों के अफसाने.
तेरी याद के दस बहाने.
उस दिन जब हम जुदा हुए थे,
खुदा से भी हम खफा हुए थे.
भले ही ज़िन्दगी सच होती है,
आँख मगर फिर भी रोती है.
किस्मत फिर से आजमाने.
तेरी याद के दस बहाने.
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: राकेश जाज्वल्य
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