Monday, December 21, 2009

आओ ग़म पकाएँ मियाँ....

आओ ग़म पकाएँ मियाँ.
बड़े मजे से खाएँ मियाँ.

दुनिया भी दुनियादारी भी,
हंसकर काम चलायें मियाँ.

झूठी आस पे जिन्दा रहती,
सच की अभिलाषाएँ मियाँ.

मुफ़लिसी के जो शहजादे,
उनकी कहाँ अदायें मियाँ.

नए दौर में सच्ची मुहब्बत?
यूँ ना हमें हंसायें मियाँ.

इक दूजे के दिल से खेलें,
अपना दिल बहलायें मियाँ.

रात भी तेरी, चाँद भी तेरा,
अपनी सारी बलाएँ मियाँ.

आँखें- वांखें, हँसी- वंसी,
प्रेम की सब भाषाएँ मियाँ.
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: rakesh jajvalya.

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