यहाँ हैं.. मेरी ग़ज़लें और कवितायेँ......
कितनी भी कोशिश करें, चाहें..पी लें.....
सूखती नहीं मगर..खारे पानी की झीलें.
Tuesday, December 22, 2009
* नज़रें / nazre.n *
जब भी मिलें उनसे, बचने की सोंचें. निगाहों के नाख़ून, दिल की खरोचें. *** Jab bhi mile.n unse, bachne ki soche.n, nigaho.n ke nakhun, dil ki kharoche.n. ---------------------------------------- : Rakesh Jajvalya.
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