Tuesday, August 25, 2009

अब भी तेरी याद........

अब भी तेरी याद गर आती हैं तो आया करे.
जान दे दी, और तुम बतलाओ कोई क्या करे.

तेरी ऊँगली के कलम से पीठ पर लिखी ग़ज़ल,
लाख कोशिश मै करूँ पर आइना ही पढ़ा करे.

कल जो कुछ बारिश की बूंदें साथ ले आई थीं तुम,
दिल मेरा अब भी उन्हीं बूंदों में ही भीगा करे.

हमसफ़र फिर हमकदम अब हम बने हमदम सनम,
उसका है अहले करम जो हमको हमसाया करे.

इन हवाओं में तेरी आँखों की मीठी ओस है,
जब भी टहलूं ये मेरी पलकों को कुछ गीला करे.
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राकेश जाज्वल्य.

1 comment:

36solutions said...

बहुत सुन्‍दर राकेश जी. आभार.