है आँखों से अश्कों की मुलाकात का मौसम।
जज्बात का मौसम है ये बरसात का मौसम।
काज़ल निकाल आँखों से बादल क्यूँ रंग दिया,
छाने लगा है दिन में भी अब रात का मौसम।
मैंने सुना है तुम भी हो शामिल बहार में,
आओ इधर कि बदले कुछ हालात का मौसम।
खेतों में लहलहा उठें अम्मी की दुआएं,
अब के ख़ुदा तू भेज करामात का मौसम।
बरसे घटायें यूँ कि हो बस प्यार हर तरफ,
हर बूंद में हो उसकी सौगात का मौसम।
अपनों की शिकायत ना करो गैर की गली,
जारी रहे हमेशा ख़त-ओ-बात का मौसम।
* राकेश जाज्वल्य।
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2 comments:
achi lines hai
sundar...
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