Saturday, September 4, 2010

वो जब कभी भी याद आएगा......

वो जब भी याद आएगा।
है यकीन मुझको, रुलाएगा।

फिर निगाहों की नम ज़मीनों पर,
फूल नमकीन वो उगाएगा।

उसके आँगन में बरस कर बादल,
मेरे गालों पे लुढ़क जाएगा।

किसके चेहरे में कितने चेहरें हैं,
वक्त आने पे नज़र आएगा।

इश्क़ हर ज़ख्म कुछ हसीं होकर,
फिर दुआओं में बदल जायेगा।

वो बिछड़ कर भी मुस्कुराता है,
यूँ उमर भर मुझे सताएगा।

उसका आना तो याद आता था,
अब ये जाना भी याद आएगा।

सोने-सोने सा हर सपना उसका,
चाँदी- चाँदी मुझे जगायेगा।

आज थोड़ी सी ज़िन्दगी बेची,
कल का कुछ और देखा जायेगा।
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: राकेश जाज्वल्य ०५।०९।१०।

1 comment:

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।