Monday, September 20, 2010

बदतमीज़ रात!....

कल की रात ! ...
बड़ी बदतमीज़ .

रात भर
साथ रही ही रही,

पूरा दिन भी
जगाती ही रही.

तुम्हारे जाने के बाद,
याद तुम्हारी....

जाती भी रही....
..आती भी रही.

: राकेश जाज्वल्य. २०.०९.१०
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