Sunday, November 21, 2010

तू लाख़ कहे है पागलपन ....

तू जो है तो मै हूँ, तेरी वजह से मेरा होना है।
तेरे लबों पे पाना है खुद को, तेरी बाँहों में खोना है।

मै हूँ इक बादल आवारा, तेरा प्यार समंदर गहरा है।
मै बरसूं कहीं, इक रोज मुझे, तेरी लहरों में खोना है।

दिखता है मुझे हर शख्स में तू, तेरी याद में वो गहराई है।
मेरी आँखों पर मेरा बस ही नहीं, ये कैसा जादू - टोना है।

तू लाख़ कहे है पागलपन, मंजूर मुझे झिड़की तेरी,
तेरी चाहत है गर राधा- सी, मेरा इश्क भी किशन सलोना है।

: राकेश जाज्वल्य .
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