ग़ज़ल लिखेंगे, गीत लिखेंगे.
तुझको ही मनमीत लिखेंगे.
मुह्हबत का है खेल अनोखा,
दिल हारेंगें, जीत लिखेंगे.
जिसे जमाना दुहरायेगा,
प्रीत की ऐसी रीत लिखेंगे.
सर्द हवाओं में उंगली से,
गयी जो बातें बीत, लिखेंगे.
चेहरा तेरा गुलाब हुआ, अब
हम मौसम में शीत लिखेंगे.
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: राकेश जाज्वल्य.
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