मौसम हरा भरा देखो,
इक हँसता चेहरा देखो।
सूरज भी लगता चंदा सा ,
कोहरा इक सुख का देखो।
उसके कानों की बाली में,
मुझको कहीं फंसा देखो।
प्रेम यहाँ अपराध हुआ है,
भीतर भय भरा देखो।
आँच में दमका करता है,
उसका प्यार खरा देखो।
जहर मिले जब मुस्कानों में,
खुद में इक् मीरा देखो।
: राकेश जाज्वल्य
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