Monday, June 1, 2009

पहली बारिश


आज मुझे बारिश की
पहली बूंदों ने छुआ है,
मेरा दिल कह रहा है -
ये तेरी ही दुआ है.
भीगे पेड़ ,भीगी जमीं,
भीगा बदन सारा है,
है शोर ये havaon का,
या तुमने मुझे पुकारा है.

3 comments:

ansh said...

arrre diz poems r mindblowing ...

मितान said...

राकेश जी बढिया लिखते हैं आप, अपने ब्‍लाग को हिन्‍दी ब्‍लाग एग्रीगेटरों में पंजीकृत करवायें और अपनी भावनायें संपूर्ण हिन्‍दी नेट विश्‍व से बांटें।
आपका यह ब्‍लाग हम हमर छत्‍त्‍ीसगढ ब्‍लाग एग्रीगेटर में जोड रहे हैं।

संजीव तिवारी
आरंभ

Shrey's Mom said...

its again a very nice poem