Tuesday, November 3, 2009

मेरे करीब तुम आये हो..

मेरे करीब तुम आये हो..
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मेरे करीब तुम आये हो, अब के बरसों में.
के जैसे ख्वाब सा महका हो, पीली सरसों में.

मेरी मुंडेर पे कागा कई बरसों बोला,
झूठा वादा था की मिलते हैं कल या परसों में.

वो तुम ही थे जिसे ढूंढा था लकीरों में कभी,
वो तुम ही हो की अब मिलते हो गीली पलकों में.

था इक निगाह का मसला, जो कभी हल ना हुआ,
दबी है गहरी उदासी इक, मन की परतों में.

वो आग थी के धुँए का हुआ भरम मुझको,
गीली-गीली सी मुहब्बत थी चुप के परदों में.
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: rakesh jajvalya.

1 comment:

Unknown said...

bahut achchhi hai.......mujhe to aaj bhi aapaki wo purani jeans aur gitar yaad aa rahi hai.......