आज मुझे बारिश की
पहली बूंदों ने छुआ है,
मेरा दिल कह रहा है -
ये तेरी ही दुआ है.
भीगे पेड़ ,भीगी जमीं,
भीगा बदन सारा है,
है शोर ये havaon का,
या तुमने मुझे पुकारा है.
पहली बूंदों ने छुआ है,
मेरा दिल कह रहा है -
ये तेरी ही दुआ है.
भीगे पेड़ ,भीगी जमीं,
भीगा बदन सारा है,
है शोर ये havaon का,
या तुमने मुझे पुकारा है.
3 comments:
arrre diz poems r mindblowing ...
राकेश जी बढिया लिखते हैं आप, अपने ब्लाग को हिन्दी ब्लाग एग्रीगेटरों में पंजीकृत करवायें और अपनी भावनायें संपूर्ण हिन्दी नेट विश्व से बांटें।
आपका यह ब्लाग हम हमर छत्त्ीसगढ ब्लाग एग्रीगेटर में जोड रहे हैं।
संजीव तिवारी
आरंभ
its again a very nice poem
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